मौर्य साम्राज्य का पतन

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मौर्य साम्राज्य का पतन


परिचय 

232 ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु के बाद, मौर्य साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। साम्राज्य दो भागों में विभाजित हो गया: पश्चिमी क्षेत्र अशोक के बेटे कुणाल के शासन के अधीन था, और पूर्वी क्षेत्र अशोक के पोते दशरथ के शासन के अधीन था।



मौर्य साम्राज्य का पतन

पश्चिमी भाग:

बैक्ट्रियन आक्रमण: मध्य एशिया के खानाबदोश लोगों बैक्ट्रियन के आक्रमणों के कारण साम्राज्य के पश्चिमी भाग को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन आक्रमणों ने पश्चिमी क्षेत्रों पर मौर्यों की पकड़ को कमजोर कर दिया।

पतन: अंततः, बैक्ट्रियन आक्रमणों के दबाव में साम्राज्य का पश्चिमी भाग ध्वस्त हो गया।



पूर्वी हिस्सा:

सम्प्रति का शासन: दशरथ के उत्तराधिकारी सम्प्रति के शासन में साम्राज्य का पूर्वी भाग अक्षुण्ण रहा। सम्प्रति ने मौर्य विरासत को आगे बढ़ाया और मुख्य क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखा।

राजवंश का अंत: अंतिम मौर्य राजा बृहत्तर था, जिसकी हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की थी। इस घटना ने मौर्य वंश के अंत और शुंग वंश के उदय को चिह्नित किया।



निष्कर्ष 

मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें आंतरिक विभाजन, बाहरी आक्रमण और केंद्रीय सत्ता का कमजोर होना शामिल है। जबकि साम्राज्य का पूर्वी भाग कुछ समय तक जीवित रहने में कामयाब रहा, पश्चिमी क्षेत्र विदेशी आक्रमणों के दबाव में आ गया। बृहत्तरथ की हत्या ने मौर्य राजवंश के अंतिम अध्याय को चिह्नित किया, जिसने भारतीय इतिहास में एक नए युग का मार्ग प्रशस्त किया।



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