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अशोक के साम्राज्य का विस्तार |
परिचय
अशोक के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य अपने चरम पर था, जिसमें प्राचीन भारत का एक विशाल क्षेत्र शामिल था। हालांकि साम्राज्य की सटीक सीमाओं पर बहस होती है, लेकिन ऐतिहासिक स्रोत इसके विस्तार के बारे में सुराग देते हैं।
अशोक के साम्राज्य का विस्तार
दक्षिणी सीमाएँ:
सीमावर्ती राज्य: अशोक के शिलालेखों में चोल, पांड्य, सत्यपुत्र और केरलपुत्र का उल्लेख सीमावर्ती राज्यों के रूप में किया गया है। इससे पता चलता है कि ये दक्षिणी राज्य मौर्य साम्राज्य के प्रत्यक्ष नियंत्रण से बाहर थे।
उत्तरी और पश्चिमी सीमाएँ:
कश्मीर: राजतरंगिणी, जो कश्मीर का इतिहास है, बताती है कि यह क्षेत्र एक समय मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था। इससे पता चलता है कि अशोक का प्रभाव उत्तरी सीमाओं तक फैला हुआ था।
नेपाल: नेपाल भी संभवतः मौर्य प्रभाव क्षेत्र में था। हालांकि सभी स्रोतों में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन भौगोलिक निकटता और ऐतिहासिक संदर्भ से पता चलता है कि नेपाल मौर्य नियंत्रण में था।
उत्तर-पश्चिमी सीमा: उत्तर-पश्चिमी सीमा पहले ही अशोक के दादा चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित की जा चुकी थी। अशोक के शासनकाल के दौरान यह सीमा काफी हद तक अपरिवर्तित रही।
निष्कर्ष
अशोक के शासन के तहत मौर्य साम्राज्य एक विशाल और शक्तिशाली इकाई थी। हालांकि इसकी सटीक सीमाओं पर बहस जारी है, लेकिन ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि यह उत्तर-पश्चिम में हिंदू कुश से लेकर भारत के दक्षिणी क्षेत्रों तक फैला हुआ था। साम्राज्य का प्रभाव दूर-दूर तक महसूस किया गया और इसकी विरासत उपमहाद्वीप के इतिहास को आकार देती रही।