श्रीलंका पर भारत का सांस्कृतिक प्रभाव

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श्रीलंका पर भारत का सांस्कृतिक प्रभाव


परिचय 

अलग-अलग राजनीतिक इतिहास होने के बावजूद श्रीलंका पर भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव रहा है। यह प्रभाव खास तौर पर धर्म, कला और साहित्य के क्षेत्र में स्पष्ट है।



बौद्ध मिशनरी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान

भारत से आए बौद्ध धर्म प्रचारकों ने न केवल बौद्ध धर्म बल्कि भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं को श्रीलंका में फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस द्वीपीय राष्ट्र ने भारतीय संस्कृति के कई पहलुओं को अपनाया, जिसमें भाषा, साहित्य और कला शामिल हैं।



पत्थर की नक्काशी और स्थापत्य प्रभाव

भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला की एक प्रमुख विशेषता, पत्थर पर नक्काशी की कला श्रीलंका में भी प्रसारित हुई। द्वीप के प्राचीन मंदिर और स्मारक भारतीय कलात्मक शैलियों के प्रभाव को दर्शाते हैं।



बुद्धघोष और हीनयान बौद्ध धर्म

भारत के एक प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान बुद्धघोष ने पांचवीं शताब्दी में श्रीलंका का दौरा किया और द्वीप पर हीनयान बौद्ध धर्म को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बौद्ध धर्मग्रंथों पर उनकी टिप्पणियों का श्रीलंकाई बौद्ध धर्म के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा।



सिगिरिया चित्रकला और अजंता प्रभाव

श्रीलंका में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सिगिरिया की प्रसिद्ध पेंटिंग्स को व्यापक रूप से भारत में अजंता गुफा चित्रों से प्रेरित माना जाता है। सिगिरिया भित्तिचित्रों की कलात्मक शैली और विषयवस्तु भारतीय कला से स्पष्ट रूप से प्रभावित हैं।



स्थायी प्रभाव

श्रीलंका पर भारतीय संस्कृति का स्थायी प्रभाव श्रीलंकाई समाज के विभिन्न पहलुओं, धर्म और कला से लेकर भाषा और साहित्य तक में स्पष्ट है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों ने समृद्ध और बहुआयामी सांस्कृतिक आदान-प्रदान में योगदान दिया है।



निष्कर्ष

श्रीलंका पर भारत का सांस्कृतिक प्रभाव बहुत गहरा रहा है, खास तौर पर धर्म, कला और साहित्य के क्षेत्र में। बौद्ध धर्म प्रचारकों, विद्वानों और कलात्मक आदान-प्रदान ने भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं को द्वीप राष्ट्र तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्रीलंका पर भारतीय संस्कृति का स्थायी प्रभाव श्रीलंकाई समाज के विभिन्न पहलुओं, धर्म और कला से लेकर भाषा और साहित्य तक में स्पष्ट है।



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