गुप्त स्वर्ण युग: संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष

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गुप्त स्वर्ण युग: संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष


परिचय 

गुप्त काल में संस्कृत साहित्य का उल्लेखनीय उत्कर्ष हुआ, जिसने भारत में बौद्धिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की प्राथमिक भाषा के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत किया। नागरी लिपि, जो ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई, संस्कृत के लिए प्रमुख लेखन प्रणाली बन गई।



गुप्त स्वर्ण युग: संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष

प्रमुख साहित्यिक हस्तियाँ

समुद्रगुप्त और हरिषेण: समुद्रगुप्त, जो स्वयं एक कवि थे, ने कई विद्वानों को संरक्षण दिया, जिनमें इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख के लेखक हरिषेण भी शामिल थे।

 

कालिदास: गुप्त युग के सबसे प्रसिद्ध कवि, कालिदास ने "शकुंतला", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीयम", "रघुवंश", "कुमारसंभव", "ऋतुसंहार" और "मेघदूत" जैसी उत्कृष्ट कृतियाँ लिखीं। "शकुंतला" विशेष रूप से प्रसिद्ध है और इसे दुनिया की सबसे महान साहित्यिक कृतियों में से एक माना जाता है।


विशाखादत्त: एक अन्य प्रमुख नाटककार विशाखादत्त ने "मुद्राराक्षस" और "देवीचंद्रगुप्तम" की रचना की।


शूद्रक: शूद्रक का "मृच्छकटिक" एक प्रसिद्ध संस्कृत हास्य है, जो अपने हास्य और करुणा के लिए प्रशंसित है।


भारवि: भारवि का "किरातार्जुनीय" एक महाकाव्य कविता है जो अर्जुन और शिव के बीच संघर्ष का वर्णन करता है।


दण्डिन: दण्डिन की कृतियों में काव्यशास्त्र पर एक ग्रंथ "काव्यादर्श" और एक प्रेम कथा "दशकुमारचरित" शामिल हैं।


सुबन्धु: सुबन्धु की "वासवदत्ता" संस्कृत साहित्य की एक और उल्लेखनीय कृति है।


विष्णुशर्मा: "पंचतंत्र", जो पशु-कथाओं का एक संग्रह है, का श्रेय गुप्त काल के विष्णुशर्मा को दिया जाता है।



महत्वपूर्ण कार्य

महाभारत और रामायण: इन महाकाव्यों को गुप्त काल के दौरान अपना अंतिम रूप दिया गया, जिससे भारतीय संस्कृति के आधारभूत ग्रंथों के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई।


पुराण: भागवत, विष्णु, वायु और मत्स्य पुराण सहित अठारह पुराणों की रचना या संशोधन इसी समय के दौरान किया गया।


अमरकोश: बौद्ध लेखक अमरसिंह ने संस्कृत शब्दों का एक व्यापक शब्दकोश "अमरकोश" संकलित किया।



निष्कर्ष 

गुप्त काल में साहित्यिक रचनात्मकता का उल्लेखनीय प्रवाह देखा गया, जिससे संस्कृत साहित्य का एक समृद्ध संग्रह तैयार हुआ। कालिदास, विशाखादत्त, शूद्रक और अन्य साहित्यिक हस्तियों की कृतियों का आज भी सम्मान और अध्ययन किया जाता है, जो गुप्त काल की बौद्धिक प्रतिभा और सांस्कृतिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है।



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